नज़रों की बयानगी का अंदाज़ है अलग
इन्हें पेश करने के अल्फा़ज़ हैं अलग
अजब सी ये भाषा हर कोई जानता
इसे कहने सुनने का,अहसास है अलग
हो गम या खुशी, का रास्ता
नम आँखों के होने का,अंदाज़ है अलग
नाराज़गी भी और प्यार का सबब
काले घेरों के घूमने की,अदा है अलग
हों वफ़ाओं की बातें या तकरार की
इन नज़रों ने रचा है,इतिहास ही अलग
ख़्वाहिशें,चाहतें या कि तमन्ना कोई
इन्हें पूरा करती, हर नज़र है अलग
जो ज़ुबाँ भी,न कर पाती है कभी
नज़र की बयानगी,वो ख़ास है अलग…
नवम्बर 9, 2011
इन्हें पेश करने के अल्फा़ज़ हैं अलग
अजब सी ये भाषा हर कोई जानता
इसे कहने सुनने का,अहसास है अलग
हो गम या खुशी, का रास्ता
नम आँखों के होने का,अंदाज़ है अलग
नाराज़गी भी और प्यार का सबब
काले घेरों के घूमने की,अदा है अलग
हों वफ़ाओं की बातें या तकरार की
इन नज़रों ने रचा है,इतिहास ही अलग
ख़्वाहिशें,चाहतें या कि तमन्ना कोई
इन्हें पूरा करती, हर नज़र है अलग
जो ज़ुबाँ भी,न कर पाती है कभी
नज़र की बयानगी,वो ख़ास है अलग…
नवम्बर 9, 2011
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