कविता लिखी नहीं जाती,स्वतः लिख जाती है…

Sunday 29 January, 2012

शायराना अंदाज़-7

“वो ठण्डी हवा के साथ कुछ बूँदें बारिश की
अलसाई हुई रात, सजी है दु्ल्हन सी
वो तसव्वुर में उतरा एक चेहरा,
जो समाया है मन में,कहीं दिखा तो नहीं।”
दिसम्बर 5, 2011 

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