रेशमी अहसास कुछ चाँदनी
सा आज
बहके हुए जज़बात,हैं
हमारे साथ
दूर तक फैली हुई तेरी
आरजू़ है बस
पलकों में बंद सिमटा वो
अनछुआ सा सच
न चाँद है साथ न तारों
की है छाँव
फिर भी है रौशन तेरे
होने की चाह
बहके से हम हैं,
बहके कदम
इक आगोश तेरा
गुम न जाएं हम
ये प्यार है कि बस
खुद को पाने की चाह
रेशमी अहसास… कुछ रेशमी अहसास…
सितम्बर 12, 2011
सा आज
बहके हुए जज़बात,हैं
हमारे साथ
दूर तक फैली हुई तेरी
आरजू़ है बस
पलकों में बंद सिमटा वो
अनछुआ सा सच
न चाँद है साथ न तारों
की है छाँव
फिर भी है रौशन तेरे
होने की चाह
बहके से हम हैं,
बहके कदम
इक आगोश तेरा
गुम न जाएं हम
ये प्यार है कि बस
खुद को पाने की चाह
रेशमी अहसास… कुछ रेशमी अहसास…
सितम्बर 12, 2011
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