कविता लिखी नहीं जाती,स्वतः लिख जाती है…

Sunday 29 January, 2012

रूमानी अहसास

रेशमी अहसास कुछ चाँदनी
सा आज
बहके हुए जज़बात,हैं
हमारे साथ
दूर तक फैली हुई तेरी
आरजू़ है बस
पलकों में बंद सिमटा वो
अनछुआ सा सच
न चाँद है साथ न तारों
की है छाँव
फिर भी है रौशन तेरे
होने की चाह
बहके से हम हैं,
बहके कदम
इक आगोश तेरा
गुम न जाएं हम
ये प्यार है कि बस
खुद को पाने की चाह
रेशमी अहसास… कुछ रेशमी अहसास…
सितम्बर 12, 2011

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