कविता लिखी नहीं जाती,स्वतः लिख जाती है…

Tuesday 27 March, 2012

नसीब से आज दीदार-ए-यार हो गया


नसीब से आज दीदार-ए-यार हो गया
हर क़लमा खिला,खुश गवार हो गया।
रूह से रूह का ऐतबार आज हो गया
जिस्म प्यार का गवह-गार हो गया।
देखा निगाहों ने जी-भर के आज खुद को
निगाहों को यार की पनाहों से प्यार हो गया।
धड़कनें बढ़ने लगीं-साँस तेज़ चल पड़ी
हो गये यार के जब क़ुबूल-ए-इज़हार हो गया।
अब तो इश्क की मुश्क का आलम न पूछो
यार ही मेरा ख़ुदा,ख़ुदा ही प्यार हो गया।
मौला हर आयत पे है नाम तेरा ही खुदा
आ पढ़ ले अब खुद,आयत ही प्यार हो गया।

6 comments:

  1. अब तो इश्क की मुश्क का आलम न पूछो
    यार ही मेरा ख़ुदा,ख़ुदा ही प्यार हो गया।

    सच्चे प्यार में तो रब का ही निवास होता है.

    खूबसूरत गज़ल.

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    1. रूह से रूह का ऐतबार आज हो गया
      जिस्म प्यार का गवह-गार हो गया। .....
      मौला हर आयत पे है नाम तेरा ही खुदा
      आ पढ़ ले अब खुद,आयत ही प्यार हो गया।
      SACCHE PYAR KA IJHAR KARTI GAZAL

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  2. WAH WAH WAH....BAHUT UMNDA GAZAL...
    PADH KE YE GAZAL ...JO HAMNE BHI MUND LI JARA AANKHEIN APNI...
    YAHIN BAITHE-BAITHE UNKA "DEEDAAR" HO GAYA....

    WAH JI BAHUT KHUB...
    KABHI SAMAY HO TO MERI BLOG PE BHI VISIT KAREI...
    http://kalpverma.blogspot.com

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  3. WAH WAH WAH...BHAUT KHUB GAZAL HAI...

    HAMNE BHI YE GAZAL PADH KE...
    JARA MUND LI JO APNI AAKHEIN...
    YAHI BAITHE-BAITHE UNKA "DEEDAAR" HO GAYA...

    KABHI SAMAY HO TO MERI BLOG PAR BHI "TASHREEF" LAYEIN...
    http://kalpverma.blogspot.com

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  4. अब तो इश्क की मुश्क का आलम न पूछो
    यार ही मेरा ख़ुदा,ख़ुदा ही प्यार हो गया।
    अशआर अच्छे लगे मुबारक हो .....

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