कविता लिखी नहीं जाती,स्वतः लिख जाती है…

Sunday 29 January, 2012

शायराना अंदाज़-8

“कितना आसां है कहना,कि सब कह दिया
जबकि कहना था जो,कह न सके
कितना आसां है कहना,हमने समझ लिया
जबकि समझने को कुछ था ही नहीं।”
दिसम्बर 10, 2011

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