जब जो ह्रदय ने जैसा महसूस किया हमारी कलम ने उसे पंक्ति बद्ध कर दिया। सारी कविताएँ बिना किसी प्रयास स्वतः ही लिख गई हैं,क्यों कि जब भी दिल को कुछ छूता है भाव उठते हैं हमारा बस हमारी कलम पर नहीं रहता। ये क्या है कैसा है ये तो नहीं पता पर हाँ जो भी है स्वाभाविक है,सिवाय भावनाओं के कुछ नहीं।
कविता लिखी नहीं जाती,स्वतः लिख जाती है…
Tuesday 31 January, 2012
शायराना अंदाज़-10
“इंतज़ार उनका,कुछ हुआ इस तरह हो बेचैन रूह भी मचलने लगी, हर लम्हे पे टिकी थी बेसब्र नज़र हुआ हमें इश्क,उन्हें दिललगी लगी।” जनवरी 5, 2012
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