जब जो ह्रदय ने जैसा महसूस किया हमारी कलम ने उसे पंक्ति बद्ध कर दिया। सारी कविताएँ बिना किसी प्रयास स्वतः ही लिख गई हैं,क्यों कि जब भी दिल को कुछ छूता है भाव उठते हैं हमारा बस हमारी कलम पर नहीं रहता। ये क्या है कैसा है ये तो नहीं पता पर हाँ जो भी है स्वाभाविक है,सिवाय भावनाओं के कुछ नहीं।
कविता लिखी नहीं जाती,स्वतः लिख जाती है…
Wednesday 1 February, 2012
शायराना अंदाज़-12
“आज बात करने का दिल ही नहीं ख़ुदा के लिये,न मजबूर कीजिए अभी टूटा है दिल,सम्भाल तो लूं फिर चाहे जितने ही ज़ख्म दीजिए”
Behtreen Abhivyakti...
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