कविता लिखी नहीं जाती,स्वतः लिख जाती है…

Sunday 29 January, 2012

कभी-कभी कुछ समझ नहीं आता

कभी-कभी कुछ समझ नहीं आता
क्या है जीवन में किससे नाता
कुछ लोग हैं जो आपको,चाहें उम्र भर
लुटा दें सारा प्यार बिन माँगे आप पर
फ़िर भी हो आपको तलाश किसी की
जिसे आप चाहें,न मिल पाए उम्र भर
ग़र खुश हो तुम तो हम भी हैं खुश बहुत
कहते हुए ये,गला क्यूँ भर आता
अजब है दर्द जो समझ नहीं आता
पर इसका अहसास हरपल सताता
कभी-कभी कुछ समझ नहीं आता…

अगस्त 17, 2011

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