14 नवंबर पं जवाहर लाल नेहरू का जन्म दिन है जो बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री चाचा नेहरू प्रखर स्वतंत्रता सेनानी ही नहीं थे अपितु एक ऐसे महा मानव थे जो सम्पूर्ण विश्व के कल्याण की चिंता करते थे। जिस समय भारत में स्वतंत्रता का आंदोलन चल रहा था पड़ोसी देश चीन की जनता भी आजादी के लिए छटपटा रही थी और वहाँ भी आजादी की जंग जारी थी। चीन की हालत भारत से भी खराब थी। जवाहर लाल जी उस समय से ही एक अन्तर्राष्ट्रीय हस्ती बन चुके थे और चीन की जनता की उन्होंनें आर्थिक मदद तक की थी। आगे चलकर अक्टूबर 1962 में जब चीन ने भारत पर आक्रमण कर दिया तो नेहरू जी को इससे तगड़ा सदमा पहुँचा क्यों कि हिंदी चीनी भाई-भाई का नारा नेहरू जी ने ही दिया था। इसी सदमे से उन्हें पक्षाघात हो गया था और 27 मई 1964 को वे चल बसे थे। चीन के तमाम नेताओं से उनका पत्र व्यवहार चला करता था-आजादी के पहले से। इन पत्रों के आइने में आज जवाहर लाल जी के विराट व्यक्तित्व को थोड़ा बहुत समझा जा सकता है क्योंकि सच बात तो यह है कि पत्र दिल खोल कर लिखे जाते हैं इनमें लिखने वाले का ह्रदय और वयक्तित्व बड़ी सच्चाई के सथ बोलले हैं। बनावट अथवा सजावटकी गुंजाइश नहीं होती। जवाहर लाल जी के इन पत्रों में उस युग की आत्मा ही सामने आ जाती है जब भारत अपनी आजादी के लिए पूरी ताकत से जूझ रहा था और अपने भविष्य का निर्माण कर रहा था। जवाहर लाल जी की चीन सम्बंधी नीतियों की लोग प्रायः आलोचना करते हैं पंरतु चीन से उनके सम्बंधों को इन पत्रों से थोड़ा बहुत समझा जा सकता है। कुछ पत्रों के उदाहरण इस प्रकार हैं-
1-
येगनेस स्मेड्ली की ओर से
जनरल हेडक्वार्टर्स
चाइनीज़ अर्थ रूट आर्मी (रेड आर्मी)
वेस्टर्न शान्सी प्राविन्स चीन
23 नवम्बर 1936
प्रिय श्री नेहरू
मैं आपको फिर एक आवश्यक कार्य के लिये पत्र लिख रही हूँ। जापान द्वारा अधिकृत प्रदशों में हजारों चीनी विद्यार्थियों मजदूरों और किसानों ने विद्रोह करके स्वयं सेवक दल बना लिया है और वे जापानियों से लड़ रहे हैं।
उनके पास हथियार हैं लेकिन न तो जाड़े में पहनने के कपड़े हैं न जूते और अक्सर कई दिनों तक उनके पास भोजन भी नहीं होता। यहाँ हमारी सेना बहुत गरीब है। उसके पास स्वयं सेवकों के लिए पैसे नहीं है….
क्या इंडियन नेशनल कांग्रेस चीनी स्वयं सेवकों के लिए कुछ रुपया दान कर सकती है? मैं इंडियन नेशनल कांग्रेस से अपील कर रही हूँ हमारे स्वयं सेवकों के लिए कुछ अवश्य भेजिए और अगर आप भेजें तो-”बैंक ऑफ चाइना,सिआन्फू शाखा,सिआन,चीन के नाम बैंक ड्राफ्ट बना कर नीचे लिखे पते पर भेजे। हम आप से अपील करते हैं कि आप चीनी जनता को दासता से लड़ने में सहायता दें।
भवदीया- स्मेडली
2-
चू तेह की ओर से
सदर मुकाम अर्थ रूट आर्मी
शान्सी चीन
26 नवम्बर 1937
प्रिय श्री नेहरू
हमने यहाँ के अखबारों में पढ़ा है कि आपने हमारे स्वतंत्रता संग्राम के समर्थन में हिंदुस्तान के कई नगरों में सार्वजिनक सभाएं की। अनुमति दीजिए कि मैं चीनी जनता और खास तौर से अर्थ रूट आर्मी (चीन की लाल सेना)की ओर से आपको धन्यवाद दूँ।
आक्रमण करने वाली शाही फौज के खिलाफ स्वयं सेवक दल बना कर लड़ रहे हैं इन स्वयं सेवकों के पास हथियार तो हैं लेकिन उनके पास न गर्म कपड़े हैं ,न कम्बल,न जूते। उनके पास खाने का सामान भी बहुत कम है या अक्सर होता ही नहीं।…आप ये जान ले कि आप द्वारा भेजे गये पैसे का हार्दिक स्वागत किया जाएगा और वह संघर्ष को जारी रखने में सहायता देगा। हम आप से प्रार्थना करते हैं कि आप इस सवाल पर पूरी गम्भीरता से विचार करें,हमारी सहायता के लिए अपना आन्दोलन और भी तेज कर दें जापानी सामाने बहिष्कार के आन्दोलन को और भी व्यापक तथा गहरा बना दें। हमारा संघर्ष आपका संघर्ष है।
आपने हमारे लिए अब तक जो कुछ किया है उसके लिए हमारी सेना एक बार फिर आपका हार्दिक धन्यवाद करती है।
आपका साथी-
चू तेह
कमांडर इन चीफ
अर्थ रुट आर्मी चीन
3-
माओत्से तुंग की ओर से
श्री ज.नेहरू
आनन्द भवन
इलाहाबाद (यू.पी.)
प्रिय मित्र,
डॉ.अटल के नेतृत्व में भारत का जो चिकित्सा दल यहाँ आया है और भारत की राष्ट्रीय महासभा ने चीनी जनता को उसके जापानी साम्राज्य वादियों से युद्ध करने के लिए अभिवादन और प्रोत्साहन के जो संदेश भेजे हैं उन्हे प्राप्त करके हमने बड़ी प्रसन्नता और सम्मान का अनुभव किया है।
हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि भारतीय चिकित्सा दल ने यहाँ अपना काम शुरू कर दिया है। अर्थ रूट आर्मी के सभी सदस्यों ने उनका बड़े उत्साह के साथ स्वागत किया है। दल के सदस्यों में हमारी कठिनाइयों में हाथ बटाने की जो भावना है,उससे उसके सम्पर्क में आने वाले लोग बड़े प्रभावित हुए हैं।
आपने चिकित्सा सम्बंधी और दूसरी वस्तुओं की जो सहायता दी है उसके लिए हम आपकी महान भारतीय जनता
और राष्ट्रीय महासभा को धन्यवाद देते हैं और उम्मीद करते हैं कि वे भविष्य में भी इस प्रकार की सहायता देते रहेंगे और हम मिल कर जापानी साम्राज्यवादियों को निकाल बाहर करेंगे। अन्त में,किंतु कम महत्व के साथ नहीं,हम आपको अपना धन्यवाद,शुभकामनायें और हार्दिक अभिवादन भेजना चाहते हैं।
आपका-
माओत्से तुंग
4-
चेंग यिंग-फुन की ओर से
चीनी शाखा
इण्टरनेशनल पीस कैम्पेन
पो.बॉ.123,चुंग किंग,चीन
21 अगस्त 1940
प्रिय श्री नेहरू!
हमें हिंदुस्तान की जनता से बड़ी हमदर्दी है वहाँ जो कछ भी होता रहा है उसका हम यहाँ बड़ी दिलचस्पी के साथ अध्ययन करते रहे हैं। हिंदुस्तान और चीन के इतिहास में कभी एक दूसरे के सीमान्त पर कोई सशस्त्र संघर्ष नहीं हुआ। इतिहास इस बात का साक्षी है कि सदभावना पूर्ण यात्राओं के माध्यम से हमने एक दूसरे की संस्कृति से केवल लाभ ही उठाया है। हमारे बीच चिरस्थायी मित्रता की यह एक दृढ़ नींव है। आपके श्रेष्ठ प्रयत्नों के लिये समस्त सदभावनाओं सहित-
आपका-
चेंग यिंग फुन
कार्यवाहक सचिव
आज की भारतीय राजनीति में पत्र लेखन भी एक दाँव बन गया है ये पत्र कभी तो अखबारों में छपवाए जाते हैं और कभी “लीक” हो कर स्वतः छप जाते हैं। राजनीतिक पत्र की जगह पत्र राजनीति नें ले लिया है। इसी आलोक में पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा लिखे गए या उनको लिखे गए पत्रों को एक बार फिर से पढ़ना आवश्यक और प्रासंगिक हो गया है।
नवम्बर 11, 2011
1-
येगनेस स्मेड्ली की ओर से
जनरल हेडक्वार्टर्स
चाइनीज़ अर्थ रूट आर्मी (रेड आर्मी)
वेस्टर्न शान्सी प्राविन्स चीन
23 नवम्बर 1936
प्रिय श्री नेहरू
मैं आपको फिर एक आवश्यक कार्य के लिये पत्र लिख रही हूँ। जापान द्वारा अधिकृत प्रदशों में हजारों चीनी विद्यार्थियों मजदूरों और किसानों ने विद्रोह करके स्वयं सेवक दल बना लिया है और वे जापानियों से लड़ रहे हैं।
उनके पास हथियार हैं लेकिन न तो जाड़े में पहनने के कपड़े हैं न जूते और अक्सर कई दिनों तक उनके पास भोजन भी नहीं होता। यहाँ हमारी सेना बहुत गरीब है। उसके पास स्वयं सेवकों के लिए पैसे नहीं है….
क्या इंडियन नेशनल कांग्रेस चीनी स्वयं सेवकों के लिए कुछ रुपया दान कर सकती है? मैं इंडियन नेशनल कांग्रेस से अपील कर रही हूँ हमारे स्वयं सेवकों के लिए कुछ अवश्य भेजिए और अगर आप भेजें तो-”बैंक ऑफ चाइना,सिआन्फू शाखा,सिआन,चीन के नाम बैंक ड्राफ्ट बना कर नीचे लिखे पते पर भेजे। हम आप से अपील करते हैं कि आप चीनी जनता को दासता से लड़ने में सहायता दें।
भवदीया- स्मेडली
2-
चू तेह की ओर से
सदर मुकाम अर्थ रूट आर्मी
शान्सी चीन
26 नवम्बर 1937
प्रिय श्री नेहरू
हमने यहाँ के अखबारों में पढ़ा है कि आपने हमारे स्वतंत्रता संग्राम के समर्थन में हिंदुस्तान के कई नगरों में सार्वजिनक सभाएं की। अनुमति दीजिए कि मैं चीनी जनता और खास तौर से अर्थ रूट आर्मी (चीन की लाल सेना)की ओर से आपको धन्यवाद दूँ।
आक्रमण करने वाली शाही फौज के खिलाफ स्वयं सेवक दल बना कर लड़ रहे हैं इन स्वयं सेवकों के पास हथियार तो हैं लेकिन उनके पास न गर्म कपड़े हैं ,न कम्बल,न जूते। उनके पास खाने का सामान भी बहुत कम है या अक्सर होता ही नहीं।…आप ये जान ले कि आप द्वारा भेजे गये पैसे का हार्दिक स्वागत किया जाएगा और वह संघर्ष को जारी रखने में सहायता देगा। हम आप से प्रार्थना करते हैं कि आप इस सवाल पर पूरी गम्भीरता से विचार करें,हमारी सहायता के लिए अपना आन्दोलन और भी तेज कर दें जापानी सामाने बहिष्कार के आन्दोलन को और भी व्यापक तथा गहरा बना दें। हमारा संघर्ष आपका संघर्ष है।
आपने हमारे लिए अब तक जो कुछ किया है उसके लिए हमारी सेना एक बार फिर आपका हार्दिक धन्यवाद करती है।
आपका साथी-
चू तेह
कमांडर इन चीफ
अर्थ रुट आर्मी चीन
3-
माओत्से तुंग की ओर से
श्री ज.नेहरू
आनन्द भवन
इलाहाबाद (यू.पी.)
प्रिय मित्र,
डॉ.अटल के नेतृत्व में भारत का जो चिकित्सा दल यहाँ आया है और भारत की राष्ट्रीय महासभा ने चीनी जनता को उसके जापानी साम्राज्य वादियों से युद्ध करने के लिए अभिवादन और प्रोत्साहन के जो संदेश भेजे हैं उन्हे प्राप्त करके हमने बड़ी प्रसन्नता और सम्मान का अनुभव किया है।
हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि भारतीय चिकित्सा दल ने यहाँ अपना काम शुरू कर दिया है। अर्थ रूट आर्मी के सभी सदस्यों ने उनका बड़े उत्साह के साथ स्वागत किया है। दल के सदस्यों में हमारी कठिनाइयों में हाथ बटाने की जो भावना है,उससे उसके सम्पर्क में आने वाले लोग बड़े प्रभावित हुए हैं।
आपने चिकित्सा सम्बंधी और दूसरी वस्तुओं की जो सहायता दी है उसके लिए हम आपकी महान भारतीय जनता
और राष्ट्रीय महासभा को धन्यवाद देते हैं और उम्मीद करते हैं कि वे भविष्य में भी इस प्रकार की सहायता देते रहेंगे और हम मिल कर जापानी साम्राज्यवादियों को निकाल बाहर करेंगे। अन्त में,किंतु कम महत्व के साथ नहीं,हम आपको अपना धन्यवाद,शुभकामनायें और हार्दिक अभिवादन भेजना चाहते हैं।
आपका-
माओत्से तुंग
4-
चेंग यिंग-फुन की ओर से
चीनी शाखा
इण्टरनेशनल पीस कैम्पेन
पो.बॉ.123,चुंग किंग,चीन
21 अगस्त 1940
प्रिय श्री नेहरू!
हमें हिंदुस्तान की जनता से बड़ी हमदर्दी है वहाँ जो कछ भी होता रहा है उसका हम यहाँ बड़ी दिलचस्पी के साथ अध्ययन करते रहे हैं। हिंदुस्तान और चीन के इतिहास में कभी एक दूसरे के सीमान्त पर कोई सशस्त्र संघर्ष नहीं हुआ। इतिहास इस बात का साक्षी है कि सदभावना पूर्ण यात्राओं के माध्यम से हमने एक दूसरे की संस्कृति से केवल लाभ ही उठाया है। हमारे बीच चिरस्थायी मित्रता की यह एक दृढ़ नींव है। आपके श्रेष्ठ प्रयत्नों के लिये समस्त सदभावनाओं सहित-
आपका-
चेंग यिंग फुन
कार्यवाहक सचिव
आज की भारतीय राजनीति में पत्र लेखन भी एक दाँव बन गया है ये पत्र कभी तो अखबारों में छपवाए जाते हैं और कभी “लीक” हो कर स्वतः छप जाते हैं। राजनीतिक पत्र की जगह पत्र राजनीति नें ले लिया है। इसी आलोक में पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा लिखे गए या उनको लिखे गए पत्रों को एक बार फिर से पढ़ना आवश्यक और प्रासंगिक हो गया है।
नवम्बर 11, 2011
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