कविता लिखी नहीं जाती,स्वतः लिख जाती है…

Sunday 29 January, 2012

हाँ वो तुम थे

आज मैंने कुछ लिखा शायद वो तुम थे
हर शब्द में लिपटे वो बातों मे तुम थे
वो अहसास जो कह रहा है मुझे लिखो
ध्यान से सुनना क्या वो अहसास तुम थे
किसने पकड़ी हैं मेरी अँगुलियाँ ज़ोर से
कलम से लिखे इन शब्दों मे तुम थे
जब भी चाहो मुझे तुम लिखना सिखा दो
लिखने की हर इक विधा मे तुम थे
फ़िर भी लोग कहते हैं कि तुमने लिखा है
उन्हें क्या पता जो लिखा है वो तुम थे……

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