सुना था वो चुपके से दबे पाँव आती है
पर बिन बताए साथ ले जाती है,पता न था।
पर बिन बताए साथ ले जाती है,पता न था।
सुना था शरीर जड़वत जिंदा लाश बन जाता है
आत्मा से शरीर को ये खबर न हो,पता न था।
आत्मा से शरीर को ये खबर न हो,पता न था।
सुना था सुंदर घना वृक्ष भी पल में सूख जाता है
पर इतनी तेजी से कि महसूस ही न हो,पता न था।
पर इतनी तेजी से कि महसूस ही न हो,पता न था।
आँखों से नमी चली जाती-पथरा जाती हैं वो सुना था
पथराई पुतलियों में हजारों सवाल जिंदा हों,पता न था।
पथराई पुतलियों में हजारों सवाल जिंदा हों,पता न था।
सब कह तो रहे हैं वो आई संग ले गई अपने़
वक्त से पहले ही ले लेगी वो जाँ,पता न था।
वक्त से पहले ही ले लेगी वो जाँ,पता न था।
आपने सही सुना हैं, दवे पांव ही आती हैं |.......
ReplyDeleteजब गम दोस्त बन जाता
ReplyDeleteअपना ही कातिल बन जाता
मौत का आना ,मुक्ती देता
यही सच्चाई है.
ReplyDelete"पथराई पुतलियों में हजारों सवाल जिंदा हों,पता न था।" बेहद खूबसूरत. लेकिन इसका हमें पता था!
ReplyDeletesuch kaha aapne hridayanbhooti kagaj par utar jati hai
ReplyDeleteयही जीवन का शास्वत सत्य है...
ReplyDeleteज़िंदगी के सफर की मंज़िल यही तो है शायद एक सच
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