कविता लिखी नहीं जाती,स्वतः लिख जाती है…

Tuesday 21 February, 2012

छोटी सी लहर

तालाब में उठी वो छोटी सी लहर
फैल जाती है जिस्म-ओ-जिगर पर
लेकिन,बहुत शांत!!!
देती है गहरी खोह,’अब’तलाशो खुद को।
समंदर की तरह न वो शोर मचाए
बरबस ही ध्यान,न कभी खीँच पाए
फिर भी जीवन से,पहचान करा जाए
वो छोटी सी लहर…
हर हाल में है शांत,न कोई कौतूहल
न इक नज़र मे,किसी को खींच पाए
दृढ़ निश्चय है जीवन,कोमलता से कह जाए
वो छोटी सी लहर…
हो कितना भी विशाल,गहरा समंदर
समेटे है लाखों,तूफान अपने अंदर
हर लहर है थपेड़ा,किसने ये जाना
जीवन है शांत,यूँ ही गुज़र जाना
फिर क्यूँ भला हम,न ये जान पाए
हर बात को कितने,आराम से समझाए
वो छोटी सी लहर…

3 comments:

  1. समंदर में इतना कुछ छुपा होता है कि उसका जितना बाखँ किया जाये वो बहुत कम है :)मेरा भी पसंदीय विषय है समंदर...और उसकी लहरें

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  2. हर लहर है थपेड़ा,किसने ये जाना
    जीवन है शांत,यूँ ही गुज़र जाना... bahut hi sunder rachna....

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  3. लहरों की हिलोरें ही तो जीवन के पर्याय हैं.
    सुन्दर शब्दों में अभिव्यक्ति.

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